प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के टॉप 4 मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं किया गया है।क्यों नहीं बदले गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री?

न्यूज डेस्क 11 जून
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के टॉप 4 मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं किया गया है. गृह मंत्रालय अमित शाह के पास ही रहेगा. निर्मला सीतारमण ही वित्त मंत्रालय संभालेंगी और वही अगले महीने बजट पेश करेंगी. इसके अलावा राजनाथ सिंह के पास रक्षा और एस जयशंकर के पास विदेश मंत्रालय रहेगा. जानें इसके पीछे की वजह, और क्या है इनकी शक्तियां.
मोदी सरकार 3.0 में सोमवार को मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया, इसमें सबसे खास बात रही कि सरकार के चार सबसे बड़े मंत्रालय रक्षा, गृह वित्त और विदेश में कोई बदलाव नहीं किया गया, पीएम मोदी ने अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया, राजनाथ सिंह को रक्षा, अमित शाह को गृह, निर्मला सीतारमण को वित्त और एस. जयशंकर को विदेश मंत्रालय का जिम्मा पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में मिला है, आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या है वजह, आखिर इन मंत्रालय को बीजेपी ने अपने पास ही क्यों रखा, क्यों जताया अपने पुराने नेताओं पर भरोसा, इससे मोदी सरकार को क्या होने वाला है फायदा.
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कुल 71 मंत्रियों ने शपथ ली है, मोदी कैबिनेट की पहली मीटिंग के बाद मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया गया है. मोदी ने तो वैसे कैबिनेट में खूब बदलाव किए लेकिन इस कैबिनेट की खास बात दो रही एक तो कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) मंत्रालयों में कोई बदलाव नहीं किया गया, दूसरा इसे बीजेपी पार्टी ने अपने पास ही रखा, मोदी ने अपने नेताओं पर ही भरोसा जताया, आइए सबसे पहले जानें क्या है CCS कमेटी.
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) देश की वह सबसे बड़ी समिति है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री खुद करते हैं. यह समिति राष्ट्रीय सुरक्षा के अहम मसलों पर फैसला लेने वाली सबसे बड़ी संस्था है. यह समिति रक्षा संस्थानों में अधिकारियों की नियुक्तियों से लेकर रक्षा नीति और खर्च तथा सामान्यतः भारत की सुरक्षा के सभी मामलों पर सभी बड़े फैसले भी लेती है.
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी भारत की रक्षा और सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों से निपटती है. यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों पर चर्चा करती है. यह विदेशी मामलों के नीतिगत मामलों से भी निपटती है, जिनका आंतरिक या बाहरी सुरक्षा हालातों पर असर पड़ सकता है. इनमें सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर अन्य देशों के साथ समझौतों से संबंधित मामले शामिल हैं. इसलिए आप समझ सकते हैं कि सरकार के लिए ये CCS का मंत्रायल कितना जरूरी है.
पीएम मोदी ने क्यों नहीं बदला चेहरा
कुल 8 कैबिनेट कमेटियों में से सबसे अहम कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी है. चारों मंत्रालयों में बिना कोई बदलाव किए पीएम मोदी ने साफ संदेश दिया है कि पिछली नीतियों को आगे बढ़ाया जाएगा. गठबंधन सरकार होने के बावजूद नीतियों व सुधारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.गठबंधन सरकार के बावजूद उनके तीसरे कार्यकाल में भी पहले दो कार्यकाल की तरह तेजी से फैसले लिए जाएंगे. पीएम ने अपनी विश्वसनीय कोर टीम को पुराने मंत्रालय सौंपकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं.
सीसीएस के सभी मंत्रालय भाजपा के हाथ में रहने से पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम फैसले बिना दबाव ले पाएगी. यानी अगर इन मंत्रालयों में किसे और पार्टी का दखल होगा तो पार्टी के लिए आए दिन मुश्किल खड़ी होती रहेगी, इसलिए प्रमुख मंत्रालयों को अपने हाथ में बनाए रखने से न केवल पार्टी की आंतरिक सामंजस्य और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होगी, बल्कि इसकी सार्वजनिक छवि और चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.
सभी सीसीएस सदस्य बीजेपी से होने के कारण, पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक एक दृष्टिकोण बना पाएगी. किसी भी संकट के समय में त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने के लिए यह बेहद जरूरी है.
राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और मजबूत शासन ऐसे विषय हैं, जिन्हें लेकर भाजपा को वोट देने वाले लोग संवेदनशील हैं. इन अहम मंत्रालयों को बीजेपी खुद नियंत्रित करके, पार्टी प्रभावी रूप से यह संदेश दे पाएगी कि जो उनकी सरकार में बीजेपी ही मुखिया है, सारी ताकत उसी के पास है, जिससे जनता में एक अलग संदेश जाएगा और बीजेपी के लिए भरोसा बढ़ेगा.
सभी के मन में एक बात यह हो सकती है कि मान लीजिए बीजेपी सीसीएस कमेटी के मंत्रालय अपने पास ही रखना चाहती थी तो पुराने लोगों को क्यों नहीं बदला तो इसका सीधा जवाब है कि पीएम मोदी का इन नेताओं पर पूरा भरोसा. तभी तो गृह मंत्रालय अमित शाह के पास ही रहेगा. निर्मला सीतारमण ही वित्त मंत्रालय संभालेंगी और वही अगले महीने बजट पेश करेंगी. इसके अलावा राजनाथ सिंह के पास रक्षा और एस जयशंकर के पास विदेश मंत्रालय रहेगा. अब बारी बारी से जानेंगे इनकी उपयोगिता.
चुनावी रणनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह पिछली सरकार में एक शानदार गृह मंत्री साबित हुए हैं और इस बार फिर उन्हें गृह मंत्रालय मिला है. अमित शाह पिछले कई दशकों से नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र रहे हैं और इस बार भी PM मोदी की कैबिनेट में वो अगली कतार में मौजूद हैं. बतौर गृह मंत्री नई सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में उनकी मजबूत भूमिका रहेगी. पिछले कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने का ऐतिहासिक निर्णय उनके ही कार्यकाल में हुआ. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व भारतीय दंड संहिता बनाने जैसी उपलब्धियां उनके खाते में दर्ज हैं.
राजनाथ सिंह एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का हिस्सा बने हैं. मोदी के पहले कार्यकाल में वे गृह मंत्री बनाए गए थे, जबकि दूसरे कार्यकाल में रक्षा मंत्री. और अब तीसरे कार्यकाल में भी बतौर रक्षा मंत्री वे अपनी जिम्मेदारी कंटीन्यू करेंगे. रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी लगातार दूसरी बार राजनाथ सिंह को सौंपकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण के साथ रक्षा क्षेत्र में सुधारों की गति जारी रखने का पुख्ता संदेश दिया है. तीनों सेनाओं को आधुनिक जंग की चुनौतियों के अनुरूप अधिक मारक और स्मार्ट बनाने की परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं जिन्हें अगले कुछ वर्षों में गति दी जानी है. साथ ही तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए संयुक्त थियेटर कमान के गठन का मसला भी निर्णायक दौर में है.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रक्षा मंत्री और दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री रह चुकीं निर्मला सीतारमण को एक बार फिर से वित्त मंत्री बनाया गया है. निर्मला सीतारमण ने 2019 में भारतीय संसद में पहला बजट पेश किया था. उसके बाद से लगातार बजट पेश करती रहीं. केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल प्रभावी रहा है. वर्ष 2020 में आई कोरोना महामारी से जहां दुनिया के बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा गईं, ऊर्जा व खाद्य संकट की चपेट में आ गईं, वहीं भारत इन संकटों से प्रभावित हुए बिना दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश बन गया.
निश्चित रूप से यह श्रेय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जाता है. मई, 2020 में उन्होंने आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा की. इसके तहत देश में विभिन्न गरीब कल्याण कार्यक्रम के साथ मैन्यूफैक्चरिंग हब एवं इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर भारी खर्च की नई शुरुआत की गई. नतीजा यह हुआ कि अर्थव्यवस्था महामारी के दुष्चक्र में नहीं फंसी और दुनिया में पांचवें स्थान पर पहुंच गई. राजस्व संग्रह लगातार बढ़ने से राजकोषीय घाटे के साथ कर्ज में भी कमी आने लगी और कभी भारत को कमजोर मानने वाली रेटिंग एजेंसियां भारत को विश्वसनीय बाजार बताने लगीं.
PM मोदी अपने विदेश सचिव एस जयशंकर के काम से इतने प्रभावित हुए कि 2019 में जब उन्होंने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उन्होंने जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया. एस जयशंकर ने 5 साल तक विदेश मंत्री के तौर पर बखूबी जिम्मेदारी निभाई और अब एक बार फिर उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया है. एस. जयशंकर ने 2019 से विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने वैश्विक मंच पर कई जटिल मुद्दों पर भारत के रुख को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अपनी क्षमता का आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन किया है. यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर मास्को से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी आलोचना को कम करने से लेकर मुखर चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति तैयार करने तक जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी की पिछली सरकार में प्रदर्शन के प्रभावशाली रिकार्ड वाले मंत्रियों में से एक रहे हैं. उन्हें विदेश नीति के मामलों को घरेलू चर्चा में लाने का श्रेय भी दिया जाता है,
यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर मास्को से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी आलोचना को कम करने से लेकर मुखर चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति तैयार करने तक जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी की पिछली सरकार में प्रदर्शन के प्रभावशाली रिकार्ड वाले मंत्रियों में से एक रहे हैं. उन्हें विदेश नीति के मामलों को घरेलू चर्चा में लाने का श्रेय भी दिया जाता है, खासकर भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान. अब सीमा पर चीन की धौंस जमाने वाली रणनीति से उत्पन्न चुनौतियों से निपटना, पश्चिम एशिया की स्थिति और यूक्रेन में संघर्ष के मद्देनजर भारत के हितों की रक्षा उनकी प्रमुख प्राथमिकताएं रहने की उम्मीद है.